….. बिहार के 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में ओकल फॉर वोकल की पकड़ी जोर
……. बगहा के चौतरवा में एनडीए गठबंधन की सम्मेलन के मंच से वोकल फॉर वोकल की उठी मांग।
बगहा से नरेंद्र पांडेय की रिपोर्ट
बगहा विधान सभा क्षेत्र के चौतरवा में शनिवार को बिहार में होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर पांच घटक दलों के द्वारा कार्यकर्ताओं के बीच शक्ति प्रदर्शन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के कोयलाएवं खनन राज्यमंत्री सतीश चंद्र दुबे तथा बिहार सरकार के मंत्री हरि साहनी मौजूद थे। वहीं मंच पर बिहार एमएलसी भीष्म साहनी सहित पांचों घटक दलों के जिलाध्यक्ष एवं वरीय नेताओं से भरी मंच से भाजपा के ही एक वरीय कार्यकर्ता भूपनरायण यादव ने कहा अबकी बार फिर से एनडीए गठबंधन की सरकार बनना तय है। लेकिन इस बार की चुनाव में बाहरी लोग नहीं बगहा का बेटा होगा जो विधायक के रूप में नॉमिनेशन दाखिल करेगा। इस बात को लेकर बगहा विधानसभा क्षेत्र में यह बातें आग की तरह फैल चुकी है। क्षेत्र के आम लोगों की अवधारणा है कि क्या बगहा विधानसभा क्षेत्र में ऐसा कोई विधायक बनने की काबिलियत नहीं रखता है जो रामनगर तथा नरकटियागंज के बोरो प्लेयर को यहां ला कर उतार दिया जाता है। निरीह जनता मन मसोस कर चाह कर भी अपने घर के बेटे को वोट नहीं कर पाते हैं। पता नहीं बगहा को उसके बेटा से क्यों दूरी बनाने में राजनीतिक पार्टीयां इतनी जबरदस्त भूमिका निभा रही है। मैं सिर्फ भाजपा को निशाने पर नहीं ले रहा हूं। चंपारण जिला में ऐसा कई विधानसभा चुनाव क्षेत्र है जो बाहरी लोगों का जबरन धक्का मुक्की करने का सिलसिला पूर्व से ही जारी है। आपको बता दें कि पूर्व में बगहा संसदीय क्षेत्र से महेन्द्र बैठा जो बेतिया के निवासी थे। उन्हें बगहा संसदीय क्षेत्र को उनके हाथों में कमान दिया गया। उसके बाद जदयू सांसद प्रत्याशी के रूप में वैद्यनाथ प्रसाद कुशवाहा को बगहा के जनता के ऊपर जबरन थोपा गया। उसके बाद बगहा विधायक के रूप में नरकटियागंज विधान सभा चुनाव क्षेत्र से भाजपा ने राघव शरण पांडेय को टिकट दिया। जिसमें बगहा की जनता सम्मानपूर्व उन्हें भी स्वीकार कर विधायक बना कर बगहा को उनके हाथों की बागडोर थमा दिया। बस अगले ही चुनाव में राघव शरण पांडेय भाजपा के लिए अभिशाप बन गए। उनके जगह पर रामनगर विधान सभा चुनाव क्षेत्र के एक बेनाम शख्सियत को जिनका नाम राम सिंह है। उन्हें भाजपा ने टिकट दे दिया। और बगहा की जनता ने चार घूंट जहर हालाहल पी भी लिया । तथा उन्हें भी अपनी कमजोरी के आगे ताकतवर बना दिया। क्या बगहा विधानसभा क्षेत्र में एक ऐसा भी आदमी नहीं है जो विधायक बनने की काबिल हो। बड़े बड़े योद्धा बगहा में तो हैं लेकिन सत्ता के गलियारों में अपनी ताकत भुला कर चंद पैसों के लिए अपनी सब कुछ बेच कर चमचों की श्रेणी में ला कर खड़ा कर दिया है। बगहा को शर्मसार करने वाले कोई और नहीं है बगहा के ही नेता हैं जो चौक चौराहों पर चाय की चुस्की तो लेते हैं।लेकिन जिस तरह से मंच से दहाड़ते हैं। उस तरह बगहा के लिए यदि गौरवशाली इतिहास बनाते तो बाहर से आ कर कोई भी बगहा विधायक नहीं बन पाता। चंद पैसों की लालच ने अंधा कर दिया। अपने गिरेबान में झांक कर देखो तुम्हारे पास उस विधायक से अधिक टैलेंट है। बगहा के लोग बगहा को कब समझेगा । इस जमाने की डिजिटल इंडिया में नहीं समझे तो क्या तुम्हारे लिए कोई अलग से जमाना नहीं आएगा। हांजी महराज पूर्णवासी राम के बाद से बगहा वीरान हो गया है। बगहा विधान सभा में बगहा का बेटा चाहिए। यह मुहिम सभी ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। लगता चुनाव के पहले कहीं इस बात के लिए कोई आंदोलन का रूप नहीं ले ले। यह साफ है कि बगहा की जन समस्या बाहरी लोग कैसे समझ सकते हैं। उन्हें अपने क्षेत्रों के बारे में ही जानकारी होती है। साथ ही ए .सी. कार में बैठकर नजदीक की समस्या को दूरी चश्मा से देखते हैं। ऐसे में उस विधान सभा क्षेत्र का क्या कुछ भला हो सकता है। देश की आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कहा कि भारत एक गांवों का देश है। परन्तु शहरी क्षेत्रों को जितने भी जनप्रतिनिधि हैं। चाहें वह सांसद हो, विधायक हो, एमएलसी हो, बिहार सरकार के मंत्री हो अथवा भारत सरकार के राज्य मंत्री हो चाहे कैबिनेट मंत्री हो सभी लोग शहरों में ही अपनी ठिकाना बनाते चले आ रहे हैं। गांवों की दुर्दशा को देखने सुनने वाला कोई नहीं है। वहीं छोटे भइया नेताओं के लिए उन्हें तेल पानी के नाम पर छोटी सी रकम देकर उन्हें खुश कर दिया जाता है। आखिर कब तक बगहा के आम जनमानस इसकी पीड़ा को सहती रहेगी। उठो बगहा, जागो बगहा ,तेरा बगहा कब से इंतजार कर रहा है। यदि आज बगहा तैयार हो जाए तो तो क्या किसी की मजाल है कि बगहा को राजस्व जिला बनाने से परहेज करें। 15 साल लालू प्रसाद यादव जी को हमने देखा 20 वर्ष नीतीश कुमार जी को देखा और बगहा के लोग देखते रह गए। छोटी सी जगह जो बगहा एक प्रखंड के बराबर भी नहीं था शिवहर जो रघुनाथ झा ऐसा आदमी के आगे लालू प्रसाद यादव जी झुके और शिवहर को जिला बना दिया। जबकि पश्चिम चंपारण जिला बिहार का सबसे बड़ा जिला है जो सैकड़ों किलोमीटर इसकी रेंज है। इसके लिए बगहा का कोई नेता नहीं कोई बेटा नहीं है जो राजस्व जिला बनाने के लिए कोई बड़ा आंदोलन करे । बस होता है क्या जब जरूरत पड़ी तो घर से निकल गए और चौराहे पर कुछ साथियों के साथ कुछ कदम चल दिए। जनाब ऐसा नहीं होता है देश की आजादी मुफ्त में या कोई उपहार में नहीं मिली है। स्वतंत्रता सेनानियों अपनी कुर्बानियां दी है।जो आज आजाद सड़कों पर बेखौफ चलते और दौड़ते हैं।गौरतलब है कि किसी भी पार्टी के लोग हो यह सभी लोगों पर यह बातें लागू होती है। कम से कम इस लेखनी को पढ़ो और समझो और उन बाहरी लोगों को भगाओ जो तुम्हारे समस्याओं को दूर से भी नहीं देखते। अब देखना है कि बिहार विधानसभा 2025 के चुनाव में बगहा के लोगों की सुधार होती है कि फिर बीमारग्रस्त ही रह पाते हैं।यह आने वाला समय ही बताएगा।